Indian Rupee Hits Fresh Record Low: All-time biggest fall rupee against US dollar: Rupee All-time Low: रुपया गिरावट के सारे रिकॉर्ड तोड़कर सर्वकालिक स्तर पर, क्या भारत पर ऐसा होगा असर ? ऐसा होने का क्या क्या रहा कारण ?
Introduction::
Indian Rupee Fall: भारतीय रुपया शुक्रवार, 08/11/2024 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5 पैसे गिरकर 84.37 (अन्तिम) के अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। भारतीय शेयरों से एफपीआई के बाहर जाने के कारण पिछले कुछ हफ्तों से घरेलू मुद्रा कमजोर हो रही है। हालांकि, दिन के दौरान रुपया 84.38 तक भी पहुंच गया था, तथा अंत में डॉलर के मुकाबले 84.37 के अपने निम्नतम स्तर पर बंद हुआ।
फिन रेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में रुपया कमज़ोर रहा है, हालांकि ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने के बाद यह अभी भी अपने समकक्षों के बीच दूसरी सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली मुद्रा है। हालांकि, एफपीआई और तेल कंपनियां मुद्रा जोड़ी के लगातार खरीदार हैं और इसलिए, हमें रुपये में कोई बढ़त नहीं दिख रही है। आरबीआई के बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप से रुपये को समर्थन मिल सकता है।"डॉलर सूचकांक 1.5% चढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 105.19 पर पहुंच गया, क्योंकि रुझानों से रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प की बढ़त का संकेत मिला, जिससे तथाकथित 'ट्रम्प ट्रेड्स' में रुचि बढ़ी।अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के शुरुआती नतीजों के कारण अमेरिकी डॉलर में तेजी से गिरावट आई और भारतीय मुद्रा बुधवार को अब तक के सबसे बड़े स्तर पर पहुंच गई, जिसके कारण केंद्रीय बैंक में व्यवधान पैदा हुआ।
इसके अलावा गिरावट के कुछ दूसरे मुख्य कारण, घरेलू शेयर बाजार की कमजोरी और विदेशी निवेशकों की ओर से हो रही सतत पूंजी निकासी भी बताई जा रही है, जिससे बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा है जो। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि रुपये की इस कमजोरी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भी अहम योगदान है। आइए रुपए के इस गिरावट को और गहराई से समझते हैं, कि ये असर हमें कहां - कहां देखने को मिलेगी........
भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का असर
रुपये की गिरावट (Indian Rupee Fall) का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। सबसे पहले, आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। रुपये की गिरावट (Indian Rupee Fall) से आम उपभोक्ताओं पर सबसे बड़ा असर महंगाई के रूप में दिखाई देगा। पेट्रोल, डीजल, और गैस की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं, और रुपये की कमजोरी से इनकी कीमतें और बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, विदेशी सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन और अन्य आयातित वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा होगा
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने बढ़ाई चिंता
कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ समय से तेजी देगिरावटFall) के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है, और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय मुद्रा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल के कारण भारत का आयात महंगा हुआ है, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने बढ़ाई चिंता
कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ समय से तेजी देखी जा रही है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Rupee Fall) के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है, और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय मुद्रा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल के कारण भारत का आयात महंगा हुआ है, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।
घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का असर
घरेलू स्तर पर भी भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट (Indian Rupee Fall) जारी है, जो रुपये के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। आईटी, बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्र के शेयरों में बिकवाली का दबाव देखने को मिला है। इस कारण निवेशकों की धारणा कमजोर हुई है और मुद्रा बाजार में भी इसका असर साफ दिखाई दे रहा है।
विदेशी कोषों की निकासी से बढ़ा दबाव (Indian Rupee Fall)
भारतीय बाजार में विदेशी पूंजी निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं, जिससे रुपये की स्थिति कमजोर (Indian Rupee Fall) हुई है। बीते कुछ समय से विदेशी कोष भारत समेत उभरते बाजारों से अपनी पूंजी वापस निकाल रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी बाजार (Indian Rupee Fall) में निवेश का रुझान बढ़ रहा है। अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित वृद्धि के संकेत ने निवेशकों का ध्यान वहां के बाजारों की ओर आकर्षित किया है, जिससे भारतीय मुद्रा (Indian Rupee Fall) पर दबाव बना हुआ है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार का प्रदर्शन
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने आज 84.26 प्रति डॉलर पर शुरुआत की। कारोबार के दौरान रुपये ने 84.26 के उच्चतम स्तर और 84.38 के न्यूनतम स्तर के बीच उतार-चढ़ाव देखा, और 84.37 के निचले स्तर पर बंद हुआ। इस तरह, भारतीय मुद्रा ने छह पैसे की गिरावट (Indian Rupee Fall) के साथ एक और नया रिकॉर्ड निचला स्तर छू लिया है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक का निवेशकों पर प्रभाव
आगामी अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक को लेकर भी बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है, जिससे डॉलर को मजबूती मिल रही है। इसके चलते निवेशक भारतीय रुपये जैसे उभरते बाजारों की बजाय अमेरिकी डॉलर में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
Result::
रुपये के कमजोर होने से हमारे और आपके जेब पर क्या असर होगा ?
भारतीय करेंसी रुपये की कमजोरी के साथ भारत के लिए नई परेशानियों के दरवाजे खुलने का डर रहता है। क्योंकि रूपए की तुलना हमेशा डालर से होगी और डालर के लगातार मजबूत होने का मतलब है कि सीधा-सीधा भारत का आयात खर्च बढ़ जाएगा। हमें जिस सामान को खरीदने के लिए अक्टूबर में 1 डॉलर के लिए 83 रुपये देने होते थे, वहीं सामान अब ये रकम 84.30 रुपये की हो जाएगी। भारत विदेशों से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है और इसको खरीदने के लिए ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ेगी क्योंकि डॉलर महंगा हो गया है। विदेशी मुद्रा भंडार और खर्च होगा।